Sunday, June 11, 2023

Amanda Nunes Dropped Gloves

 Amanda Nunes Retires





One of the greatest champions in women's MMA history Amanda Nunes retires from the sport.  She leaves a legacy, which seems never to be surpassed as she brings courage in the sport & beaten all starting from Ronda, Cyborg, Valentina, Homes and what not. She was the first simultaneous double champion in UFC women's MMA history. 


She retired at the age of 33, We have never seen a female fighter with such courage and determination. Though so young, she left the sport on high for her family but here achievements are second to none. She is definitely going to be a future Hall of famer; she was also known as the lioness rightly so.


We have seen her progression as she was defeated by Cat Zingano but never lost her spirit. She came back strong and destroyed the then champion and the Contender dared to challenge her. She was having an excellent offensive boxing game along with a solid ground game. We have seen fighters quitting due to her fear as she was breaking the spirit of different Contenders from one after another. 


We have seen her close fights with Valentina, where she was pushed to the limits but still comes out victorious and that is the sign of a champion. She was truly the women's MMA GOAT and will always be remembered as the lioness. 


She also expresses a desire to be a mentor and coach in the UFC in future but needs time with family. As true fans, we respect her decision. She has done it all & left a legacy to be proud of. Let's bring together to wish her a healthy & successful life with her family & loved ones. 


Good by Champion…




Sunday, August 1, 2021

रावण-हनुमान संवाद | हिंदी कविता

 



।। रावण-हनुमान संवाद ।।


ब्रह्मदंड की मूर्छा

नागपाश का बंधन

हनुमत असुरों में घिरे

त्रास हरें रघुनंदन ।


वानर बंधन देखकर

हँसता है दसशीश

पुत्र निधन संताप पर

छुपा रहा है टीस ।


सभा मध्य हनुमत खड़े

देख रहे हुंकार

देव, शनि कर जोड़ते

करते हैं जयकार ।


गिरी दूर विद्युत कहीं

ऐसे रावण बरसा

बता दुष्ट तू कौन है

लगे वानरों जैसा ।


क्यों तूने वह बाग उजाड़ा

किस हट वश असुरों को मारा

राष्ट्र द्रोह का दंड भरेगा

तूने मम सुत है संहारा ।


नहीं मूर्ख तू जानता

रावण का प्रतिशोध

हम असुरों की क्रूरता

चंद्र, रवि को बोध ।


क्षण भर का फ़िर मौन रख

बोले हनुमत वीर

रघुनंदन का दूत मैं

धरो जरा तुम धीर ।


तेरा परिचय जानते

वीर सभी वानर हैं

वालि से संधि करे

तू कैसा कायर है ।


सहस्त्रबाहु का भुजबल

तुझे नहीं क्या याद

कैसी पीड़ा थी सही

बता पते की बात ।


मैंने वो तमिचर हने

लगा रहे जो घात

विटप, तरु को तोड़ना

वानर की है जात ।


वनवासी का दूत तू

आडंबर करता है

मृत्यु निकट है देख भी

जरा नहीं डरता है ।


राम नाम ही सत्य है

राम नाम की आस

राम नाम में बल बड़ा

राम नाम विश्वास ।


शंकर के वरदान पर

तू फूला जाता है

शंकर के जो ईश हैं

समझ नहीं पाता है ।


माया और अभिमान वश

सीता हर लाया है

रघुनंदन की संगिनी

मृत्यु संग लाया है ।


करुणा के वे स्रोत हैं

तजो बैर दसशीश

वैदेही वापस करो

औऱ नवाओ शीश ।


भरे क्षोभ, अभिमान वश

खीझ रहा दसग्रीव

सब मिल मारो दुष्ट को

काटो सठ यह जीव ।


काल क्रोध बन घूमता

खंडित होते काम

रावण की निश्चित गति

भला करें श्रीराम ।।


--विव

अंतर्मन | हिंदी कविता

 




।। अंतर्मन ।।


क्रुद्ध सूर्य की तप्त ज्वाल मैं

क्षुब्ध सिंधु की गहराई हूँ

विष्णु का मैं चक्र सुदर्शन

अंतर्मन की परछाई हूँ ।


दुःखी हृदय का दग्ध भाव मैं

पल-पल घिरती तन्हाई हूँ

निर्धन का मैं दारुण रुदन

अंतर्मन की रुसवाई हूँ ।


पूज्य शारदा की वीणा मैं

याद पिरोती पुरवाई हूँ

प्रेम पीयूष मैं करती क्रीड़ा

अंतर्मन की शहनाई हूँ ।


आदि जगत का परम समर मैं

शिशु भरे वो अँगड़ाई हूँ

कवि साधता मैं वो आख़र

अंतर्मन की चौपाई हूँ ।।


--विव

दिनकर और जीवन | हिंदी कविता

 



।। दिनकर और जीवन ।।


उदयाचल में सूर्य खिल उठा

हिलें पात डाली डाली

चहक उठे हैं सुप्त विहग गण

भोर हुई है मतवाली ।


मध्यांचल में सूर्य बढ़ा जब

विभा तप रही विकराली

अस्त-व्यस्त फ़िर रहा जीव भी

घाम डस रही ज्यों व्याली ।


दूर क्षितिज पर सुर्ख़ छटा वह

नई वधू की है लाली

महक रही सब कुसुम लताएँ

साँझ यहाँ मधु की प्याली ।


अस्ताचल में सूर्य अस्त अब

निशा दिख रही कुलपाली

जड़ हो रहा देख फ़िर जीवन

अंधयाली की व्यथा निराली ।।


--विव

प्रेम निशानी | हिंदी कविता

 




।। प्रेम निशानी ।।


नयन सेज से बहता पानी

दग्ध हृदय में यही रवानी

मधुर प्रेम और मोहित चातक

प्रेयस गा रहा कथा पुरानी ।


मेह ऋतु के पहले बादल

रिमझिम करता गिरता पानी

यूँ भीगा मैं यूँ भीगी तुम

शिव से जैसे मिले शिवानी ।


सर्द हवा और छाया कोहरा

कोयल कूके अमृत वाणी

देख पपीहा कुछ इठलाया

गहन प्रेम की यही निशानी ।


प्रेम कुसुम पर परिजन पीड़ा

जात पात है प्रथा निभानी

तिल तिल कर यूँ मरता यौवन

होती फ़िर है व्यर्थ जवानी ।।


--विव

@Viv Amazing Life

Follow Me