Sunday, August 1, 2021

दिनकर और जीवन | हिंदी कविता

 



।। दिनकर और जीवन ।।


उदयाचल में सूर्य खिल उठा

हिलें पात डाली डाली

चहक उठे हैं सुप्त विहग गण

भोर हुई है मतवाली ।


मध्यांचल में सूर्य बढ़ा जब

विभा तप रही विकराली

अस्त-व्यस्त फ़िर रहा जीव भी

घाम डस रही ज्यों व्याली ।


दूर क्षितिज पर सुर्ख़ छटा वह

नई वधू की है लाली

महक रही सब कुसुम लताएँ

साँझ यहाँ मधु की प्याली ।


अस्ताचल में सूर्य अस्त अब

निशा दिख रही कुलपाली

जड़ हो रहा देख फ़िर जीवन

अंधयाली की व्यथा निराली ।।


--विव

प्रेम निशानी | हिंदी कविता

 




।। प्रेम निशानी ।।


नयन सेज से बहता पानी

दग्ध हृदय में यही रवानी

मधुर प्रेम और मोहित चातक

प्रेयस गा रहा कथा पुरानी ।


मेह ऋतु के पहले बादल

रिमझिम करता गिरता पानी

यूँ भीगा मैं यूँ भीगी तुम

शिव से जैसे मिले शिवानी ।


सर्द हवा और छाया कोहरा

कोयल कूके अमृत वाणी

देख पपीहा कुछ इठलाया

गहन प्रेम की यही निशानी ।


प्रेम कुसुम पर परिजन पीड़ा

जात पात है प्रथा निभानी

तिल तिल कर यूँ मरता यौवन

होती फ़िर है व्यर्थ जवानी ।।


--विव

प्रेम पीर कुछ दे जाता है | हिंदी कविता

 




।। प्रेम पीर कुछ दे जाता है ।।


मंद-मंद पल्लव का मरमर

भाव पुराने बिसराता है

प्रेम डगर और कुंठित मन फ़िर

ताप हृदय में दे जाता है ।


कूक-कूक कोयल मधुरित स्वर

स्वप्न सुनहरे सहलाता है

उच्छ्वास फ़िर वचन अधूरा

घाव गहन कुछ दे जाता है ।


भ्रमर-भ्रमर अलि गुंजित गायन

वफ़ा, सदाएं गोहराता है

उर तृष्णा फ़िर पसरा वेदन

अश्रु नयन में दे जाता है ।


झर-झर करता विस्मित निर्झर

व्यथा वही जो दोहराता है

आत्म द्वंद्व फ़िर प्रेयसी पीड़ा

प्रेम पीर कुछ दे जाता है ।।


--विव

नयन | हिंदी कविता

 



।। नयन ।।

नयनों की अपनी परिभाषा
नयनों का अपना गायन
नयनों में ही प्रेम व्याप्त है
नयनों में अद्भुत आकर्षण ।

नयनों में बिखरी हरियाली
नयनों में गहरा मरुथल
नयनों में एक सिंधु सजल है
नयनों में जीवन दर्शन ।

नयनों में खिलती कलिकाएँ
नयनों में कूके कोयल
नयनों में ही बजती वीणा
नयनों में पसरा यौवन ।

नयनों में दिखती मृगतृष्णा
नयनों में प्रज्वलित स्वप्न
नयनों में संचित मर्यादा
नयनों में अंतिम वंदन ।।


--विव

Wednesday, July 28, 2021

क्यों जाओ मुझको छोड़ ?





क्यों जाओ मुझको छोड़ ?


घटा छा रही भूरी-कारी

पावस यूँ भरता किलकारी

नाच रहा मन, नाच रहे खग, नाच रहें है मोर

पिया! क्यों जाओ मुझको छोड़ ?


हृदय धड़कता भारी-भारी

समझो मेरी भी लाचारी

गाती धरणी, गाती कोयल, चंचल तुम चितचोर

पिया! क्यों जाओ मुझको छोड़ ?


करूँ प्रार्थना बारी-बारी

मुझको केवल प्रीत तुम्हारी

झूठा है जग, झूठी सखियां, देखूं तेरी ओर

पिया! क्यों जाओ मुझको छोड़ ?


पड़े हिंडोले डारी-डारी

सावन की वृक्षों से यारी

देखो बिंदिया, देखो कंगना, दो! मेरी बाँह मरोड़

पिया! क्यों जाओ मुझको छोड़ ?


लगे विहंगिनी हारी-हारी

नीड़ बचाना है कुछ भारी

गरजे अंबर, बरसे पानी, उसपर रात कठोर

पिया! क्यों जाओ मुझको छोड़ ?


अँखियाँ रोयें कजरी-कारी

प्रियतम यह कैसी तैयारी

रिमझिम वर्षा, झमझम आँखें, किस्मत आदमखोर

पिया! क्यों जाओ मुझको छोड़ ?


--विव


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@Viv Amazing Life

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